Friday, December 05, 2008

रास न आए हमारे...

यह मेरा पहला प्रयास है हिन्दी में लिखने काजो मुझे जानते हैं वोह यह भी जानते हैं कि हिन्दी मेरी मात्र भाषा होने के बावजूद मुझे हमेशा मात देती आई हैकई लोगों ने मुझे यह चुनौती, ज़िन्दगी के इस सफर मैं, कई बार दी कि मैं बिना अटके बिना रुके कुछ समय के लिए सिर्फ़ हिन्दी मैं बोलूं, और मुझे यह कहते हुए बहुत दुःख होता है, बहुत शर्म आती है, कि मैं इस चुनौती पे खरी नही उतर पायीकहने को तो मैं हज़ार बहाने मार सकती हूँ, पर सच क्या है, क्यों है, यह तो शायद मैं भी नही जानतीअंग्रेज़ी हमारी ज़िन्दगी कि एक ऐसी लड़ बन चुकी है कि चाहे चाहे एक एक शब्द इस कम्बख्त ज़बान पे ही जाता है!
दुनिया है कि अपनी दौलत को संभाल के रखती है, हम हैं कि उसे ख़ुद से छोटा समझते हैंजब भी मैं आगे किसोचती हूँ और बहार जाने का सपना देखती हूँ , तो हसी आती है कि मुझे अंग्रेज़ी का टेस्ट (देखा?) देना होगा...कभीयहाँ रहने के लिए हिन्दी का देना पड़ा तो मेरा क्या होगा? मैंने तो मुंशी प्रेम चाँद कि कहानियां भी अंग्रेज़ी मैं पढ़ीथीकभी यह भी नही सूजा कि अपने हिंदुस्तान के महाराथिओं के उन चुनिन्दा काव्यों का रस मैंने नही पिया परविदेशी कथाओं पे लट्टू रहीसोच के भी अब बुरा लगता है

आज मस्ती मैं इस पन्ने को हिन्दी मैं लिखने के चाह उठी
दूर दबे उन ख्यालों कि कश्ती उम्भ्री
लिखने चली थी कुछ नग्मे प्यार के
दिल से बस एक आह निकली
चाहत थी कि इन लम्हों के संजोके संवारूंगी
आँसू हैं कि बहते हुए काजल की धार बन गई
सोचने को तो बहुत है
दुनिया विशाल होते हुए भी, चोटी पर गई
कहना चाहते थे अपने दिल की वोह खामियां
देख आपके अक्ष दिल की बस आस निकली
हस दें आप तो क्या बाहार आएगी
होटों पे हलकी सी जब मुसकुराहट छायेगी

2 comments:

ABHi said...

LOL !
mast!
am at loss of words...

ok! par ek baat, maine ye padha hai... ki hum hindi ke jis swaroop ka ab bol chal mein prayog karte hain vo asal mein "hindustani" kehlati hai. ismein angal bhasha ke shabdon ka mishran hai...

vo "khadi-boli" hai jisme angal bhasha ka prayog nahi hota ... aur vo angrejon ke aane ke pehle boli jaati thee

to is baat ka shok karna ki hum angal bhasha ka hindi ke saath bhutey prayog kar rahe hain, kuch had tak vyarth hai...

:)

Unknown said...

hahaha!! oh yeah this is hindustani and not even close to hindi...btw reading ur attempt at ghanisht hindi was fun...yeh sab vyarth hai!!